बेलगाम वाहनों की आवाजाही व शराब की खुली बिक्री ने कानून की धज्जियां उड़ाई

**बेलगाम वाहनों की आवाजाही व शराब की खुली बिक्री ने कानून की धज्जियां उड़ाई


 *पुलिस की मौजूदगी भी कुछ काम ना आई* 


 देहरादून।लॉक डाऊन के दौरान सरकार द्वारा शराब की दुकानों के खोले जाने की छूट ने आज राज्य में पूरे पुलिस महकमे को बोना साबित कर दिया । शराब की खुले आम बिक्री किये जाने के दौरान पुलिस की दशा द्रोपदी के चीर हरण के दौरान विवश पांडवो  के समान दिखाई दे रही थी।
भारी मात्रा में शराब की बोतले व पेटियां ले जाते हुए पकड़ने पर पुलिस की इस कार्यवाही को सलाम किया जाता था परंतु आज उन्ही के आखो के सामने बड़ी बेशर्मी से लोग शराब की बोतले व पेटियां उठाकर ऐसे निकल रहे थे मानो जैसे कोई जंग जीत कर आ रहे हो। खरीदारी का ये नंगा नाच पुलिस की आखों के सामने चल रहा था। मगर बोलने वाला कोई नही था। इधर जनता की बात कहें तो शराब के अभाव में जूझ रही जनता को जब शराब खोले जाने की सूचना मिली तो मानो मृत जीव में  प्राण आ गए हो। 
 सुबह 5 बजे से जाने की तैयारियों में जुटे शराब के मतवालों को सरकार व शासन का कोई खौफ ना था। दूसरी और  सभी वाहनों की आवा जाही खोलने से घण्टाघर व चकराता रोड़, सहारनपुर चौक में आये जनसैलाब ने लॉकडाऊन के नियमो की धज्जियां उड़ाकर रख दी। इन सभी अव्यवस्थाओ पर अंकुश लगाया जा सकता है यदि इसकी मोनिटरिंग जिम्मददारी के साथ जाती। शराब की बिक्री में कोई सीमा निर्धारित नही थी जिसको जितनी शराब की बोतल चाहिए उसे पूरी छूट दी गयी। ताज्जुब तब होता है जब उत्साहित शराब प्रमियों द्वारा पुलिस की नजरों के सामने धड़ल्ले से शराब की पेटियां खरीद कर ले जा रहे थे। अभी कुछ दिनों पूर्व शराब की पेटियों समेत कई लोगो को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है परन्तु आज इस तरह शराब की पेटियां ले जाने पर कोई कानून लागू नही होता बल्कि पुलिस इस कार्य मे उन्हें सहयोग करें तो ये बात गले नही उतरती।
एक तरफ़ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये प्रदेश के मुख्य मंत्री बार-बार लोगो को लॉकडाऊन का अनुपालन करने का अनुरोध कर रहे है और दूसरी तरफ बेलगाम वाहनों की आवाजाही बढ़ाकर शराब के खुले कारोबार में कानून तोड़ने की छूट दे रहे है।
 
क्या इस प्रकार हम कोरोना को हरा पाएंगे , क्या  देश व्यापी लॉकडाऊन इस तरह सफल हो सकेगा।